दोषी को आजीवन कारावास की सजा; कोर्ट ने कहा- 'बिन ब्याही मां और उसके परिवार ने झेला अभिशाप' | The accused, who became the unmarried mother of a minor girl, got life imprisonment after 12 years, the decision of the ADJ Court Gaurela

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM)एक घंटा पहले

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दोषी आनंद गोंड। - Dainik Bhaskar

दोषी आनंद गोंड।

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में नाबालिग लड़की के अपहरण, दुष्कर्म और उसके बाद गर्भवती होने के मामले में दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। घटना 12 साल पहले की है। अब जाकर पीड़िता को इंसाफ मिला है। बच्ची रेप से गर्भवती हुई थी और उसने एक बच्चे को भी जन्म दिया था। एडीजे गौरेला किरण थवाइत ने शुक्रवार को दोषी को सजा सुनाई।

मामला पेंड्रा थाना क्षेत्र के सरखोर गांव का है, जहां 9 जुलाई 2010 को रेप की वारदात हुई थी। गांव के रहने वाले आनंद गोंड ने नाबालिग का अपहरण कर लिया था। वो उसे बाइक पर कारीआम गांव के जंगल में ले गया था और उसके साथ दुष्कर्म किया था। जब पीड़िता ने आरोपी से कहा कि वो ये बात अपने घरवालों को बता देगी, तो आरोपी ने उसे शादी का आश्वासन देकर कारीआम गांव में ही एक किराये का मकान लेकर रखा। उसने पीड़िता को एक तरह से बंधक बना लिया था और उसे कहीं जाने नहीं दे रहा था।

एडीजे गौरेला किरण थवाइत ने सुनाया फैसला।

एडीजे गौरेला किरण थवाइत ने सुनाया फैसला।

आरोपी आनंद गोंड लगातार नाबालिग का यौन शोषण करता रहा। एक महीने तक कारिआम में पीड़िता को रखने के बाद वो उसे लेकर अपने घर सरखोर गांव आ गया। जब नाबालिग गर्भवती हो गई, तो आरोपी उसे छोड़कर भाग गया, वहीं युवक के माता-पिता ने भी लड़की को घर से निकाल लिया। जैसे-तैसे पीड़िता अपने घर पहुंची और पूरे मामले की जानकारी दी। पीड़िता ने एक बेटे को भी जन्म दिया। वहीं लड़की के माता-पिता ने आरोपी आनंद गोंड के खिलाफ 2 जुलाई 2012 को पेंड्रा थाने में अपराध पंजीबद्ध कराया।

गौरेला एडीजे कोर्ट।

गौरेला एडीजे कोर्ट।

आरोपी करीब 11 सालों तक फरार रहा। 27 नवंबर 2021 को वो पुलिस के हत्थे चढ़ा। कोर्ट में केस चल रहा था। जांच में आरोपी आनंद गोंड पर दोष साबित हुआ। आज 11 नवंबर को एडीजे कोर्ट गौरेला की अपर सत्र न्यायधीश किरण थवाइत ने फैसला सुनाते हुए दोषी को धारा 376 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

पेंड्रा थाना क्षेत्र की थी घटना।

पेंड्रा थाना क्षेत्र की थी घटना।

न्यायालय ने फैसले में इन बातों का किया जिक्र

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि एक बिन ब्याही मां का बनना हमारे समाज में अभिशाप के समान है, जिसका सामना पीड़िता और उसके माता-पिता ने अकेले किया है और दोषी घटना के बाद से फरार रहा है। ऐसे में अगर सजा में थोड़ी भी नरमी बरती गई, तो समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा और अपराधियों के हौसले बुलंद होंगे। इससे समाज में बेटियों का जीवन और असुरक्षित हो जाएगा। इसलिए अभियुक्त आनंद गोंड को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के तहत 3 साल का सश्रम कारावास और 500 रुपए का अर्थदंड, धारा 366 के तहत 5 साल का सश्रम कारावास और 500 रुपए का अर्थदंड और धारा 376 के तहत आजीवन कारावास और 1000 रुपए के जुर्माने से दंडित किया जाता है।

पीड़िता को क्षतिपूर्ति देने के भी आदेश

कोर्ट ने कहा कि यह सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। वहीं पीड़िता को पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2011 के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के द्वारा क्षतिपूर्ति दिए जाने के निर्देश न्यायालय द्वारा दिए गए हैं। इस मामले में शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक पंकज नगाइच ने की।

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