रायपुरएक घंटा पहले
- कॉपी लिंक
एक के पीछे दूसरी ट्रेन चल सकेगी आसानी से।
दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करते हुए सिग्नल सिस्टम को ऑटोमैटिक करने जा रहा है। इस काम से अब ट्रेनें एक ही रूट पर एक के बाद एक आसानी से चल सकेंगी। जिससे यात्रियों का सफर कम समय में पूरा होगा। साथ ही रेलवे भी इस रूट पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने और ट्रैक खाली होने पर और अधिक संख्या में ट्रेनें चला सकता है।
ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम शुरू होने के बाद ट्रेनों को अब बेवजह कहीं भी खड़ा नहीं करना पड़ेगा। पुराने सिस्टम (एब्ल्यूट ब्लॉक सिस्टम) में कहीं भी खड़ी ट्रेन को हरा सिग्नल तभी मिलता था, जब उस रूट पर आगे चल रही ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुंच जाए। तब पीछे खड़ी ट्रेन हरा सिग्नल पाकर चलती थी। ऑटोमैटिक सिस्टम का बड़ा लाभ यह है कि अब एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन इन ऑटोमैटिक सिग्नल के सहारे लगातार करीब में चलती रहेंगी।
ऐसे करेगा ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम काम
अगर सामने चल रही ट्रेन में कोई तकनीकी खराबी होगी और वो रुक जाएगी, तो पीछे चल रही ट्रेन को तुरंत ही ऑटोमैटिक तरीके से सूचना मिल जाएगी और वो भी जहां है, वहीं रुक जाएगी। जिससे एक्सीडेंट की संभावना भी न्यूनतम होगी। फिर जब सामने वाली ट्रेन आगे बढ़ेगी, तभी उसके पीछे वाली ट्रेन भी आगे बढ़ पाएगी।
ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम के लाभ
पहले दो स्टेशनों के बीच केवल एक ही ट्रेन चल सकती थी। जबकि ऑटोमैटिक सिग्नल के द्वारा दो स्टेशनों के बीच में दूरी के अनुसार 2, 3 या 4 ट्रेनें भी चल सकती हैं। ये सिस्टम ऐसे ही काम करता रहेगा। सामान्यतः एक रेलवे स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 12 से 15 किलोमीटर तक होती है। फिलहाल ट्रेन को यह दूरी तय करने में लगभग 15 मिनट का समय लगता है, मतलब पहली ट्रेन के जाने के 15 मिनट बाद ही दूसरी ट्रेन चलाई जाती है। अब बिलासपुर जोन रेलवे इस 15 मिनट के समय को 7 से 8 मिनट तक कर देगा। जिससे भविष्य में इन्हीं रूटों पर दुगनी ट्रेनें भी चल पाएंगी। इस सिस्टम का सफल ट्रायल भी पूरा हो चुका है।