Sunday, August 14, 2022

बोले, बेटे ने बलिदान देकर बचाई है 100 सैनिकाें की जान, चार के बदले दुश्मनों के 40 शव चाहिए, तभी आत्मा को मिलेगी शांति | Said, son has saved the lives of 100 soldiers by sacrificing, instead of four, 40 dead bodies of enemies are needed, only then the soul will get peace

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भोला पांडेय/फरीदाबाद2 घंटे पहले

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शहीद को श्रद्धांजलि देते केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर व सैन्य अधिकारी। - Dainik Bhaskar

शहीद को श्रद्धांजलि देते केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर व सैन्य अधिकारी।

  • बेटे की शहादत से मन ताे दुखी है लेकिन उसके बलिदान पर गर्व भी, सरकार को इस हमले का बदला लेना चाहिए

रक्षाबंधन के एक दिन पहले जम्मू कश्मीर में राजौरी सेक्टर के परगल सेना कंपनी में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए मनोज कुमार भाटी (26 )का शनिवार को उनके गांव शाहजहांपुर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो गया। इस दौरान अपने बेटे को अंतिम विदाई देने के बाद शहीद के पिता बाबूलाल ने केंद्र सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है। लेकिन आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब दुश्मन के घर में घुसकर 40 लोगों को मौत के घाट उतारा जाए। उन्होंने सरकार से इस हमले का बदला लेने की भी मांग की है।

हरियाणा के दो बेटाें ने बचाई सौ सैनिकों की जान

शहीद के पिता बाबूलाल ने बताया कि जिस वक्त आतंकी हमला हुआ, उस वक्त उनका बेटा मनोज कुमार और हिसार का हांसी निवासी शहीद निशांत मलिक ड्यूटी पर थे। दोनों बेटों ने आतंकियों को ललकारते हुए फायरिंग शुरू कर दी। गोलियों की आवाज सुनकर जब तक कैंप में सो रहे अन्य सैनिक आते, दोनों ने आतंकियों को कैंप में घुसने नहीं दिया। गांव के फौजी विनोद कुमार ने बताया कि राजपुताना राइफल्स के अधिकारियों से बातचीत में पता चला कि उस वक्त कैंप में 80 से 100 सैनिक सो रहे थे। यदि मनोज और निशांत आतंकियों को नहीं रोकते तो सेना को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता था।

आतंकियों ने पहले हैंड ग्रेनेड से किया था हमला

परिजनों ने बताया कि रात के समय आतंकियों ने सेना कैंप की दीवार फांद रहे थे। तभी मनोज व निशांत ने हरकत देखकर फायरिंग कर दी। आतंकियों ने हैंड ग्रेनेड से हमला कर कैंप में घुसने का प्रयास किया। हैंड ग्रेनेड के फटने से दोनों जवान घायल हो गए। घायल होने के बाद भी दोनों जवानों ने जान पर खेलकर आतंकियांे के मनसूबे को कामयाब नहीं होने दिया।

अब बस एक ही ख्वाहिश, 40 शव लाए सरकार

कांपती जुबान और नम आंखों से बातचीत करते हुए बाबूलाल ने कहा कि अब उनकी एक ही ख्वाहिश है, जिन आतंकियों की वजह से उनके बेटे समेत चार जवान शहीद हुए हैं, उनके बलिदान के बदले सरकार दुश्मनों के 40 शव लाए, तभी आत्मा को शांति मिलेगी। मनोज के बलिदान का बदला लेने के लिए गांव का हर बच्चा फौज में जाने को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके तीने पोते हैं, उन्हंे भी फौज में भेजकर बेटे के बलिदान का बदला जरूर लेंगे। बाबूलाल ने कहा कि अपने बेटे के बलिदान पर गर्व भी है और गुस्सा भी। मोदी सरकार को इस हमले का बदला लेना चाहिए।

गांव में किसी भाई के कलाई पर नहीं बंधी राखी

शाहजहांपुर गांव के शहीद मनोज कुमार भाटी की शहादत के गम में पूरे गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया गया। बहनें अपने भाई मनोज की शहादत से गमगीन थी। यहां की बहनें ससुराल से अपने मायके जरूर पहुंची लेकिन जैसे ही उन्हें मनोज के शहादत की खबर मिली, उन्होंने भाईयों की कलाई सूनी छोड़ दी। अपनी अपनी राखियां शहीद भाई को समर्पित कर दी।

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