सूरत3 मिनट पहले
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कॉमनवेल्थ गेम्स में टेबल टेनिस में सूरत के हरमीत ने जीता गोल्ड।
पिछले चार वर्ष से कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी कर रहा हूं। एक भी दिन ऐसा नहीं रहा कि मैंने 6 घंटे प्रैक्टिस नहीं की हो। मेरी मेहनत और मेरे परिवार के समर्थन से यह सफलता मिली है। फैमिली के सपोर्ट के बिना इस स्तर पर पहुंच नहीं पाता। कई साल से मैं घर पर नहीं रह पाया हूं।’ कॉमनवेल्थ गेम्स के टेबल टेनिस में गोल्ड जीतने वाले सूरत के हरमीत देसाई ने अपने संघर्ष की कहानी बताई। गोल्ड जीतने के पहले हरमीत ने अपने सोशल मीडिया स्टेटस पर लिखा था कि अपना भी टाइम आएगा।

हरमीत देसाई: जीतने के बाद सबसे पहला फोन भाई हृदय को किया, उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है
12 में से 8 महीने घर से बाहर रहा। अपनी पसंदीदा डिश छोड़ दी। विदेश में अपने काम खुद करने पड़ते हैं। खाना बनाना सीख गया हूं। पिछली रात मेरे लिए बहुत मुश्किल थी। प्रेशर ज्यादा था। मुझे पूरी रात नींद नहीं आई। जीतने के बाद सबसे पहले अपने भाई हृदय को फोन किया और जीत की खुशी इजहार किया। भाई ने भी जीत के लिए हरमीत को शुभकामनाएं दी।
हरमीत देसाई की मां से बातचीत
पिछले एक साल से उसने आम का जूस नहीं पीया है, इस वर्ष इसके लिए 10 किलो से अधिक आम का रस स्टोर किया है, घर आने पर उसे पिलाऊंगी
हरमीत पिछले 4 साल से कॉमनवेल्थ की तैयारी कर रहे हैं। डेडिकेशन के बिना आप जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। हरमीत से कल आखिरी बार बात हुई थी। उस वक्त वह कह रहे थे कि प्रेशर बहुत ज्यादा है। लेकिन मैंने उसे कोई सलाह नहीं दी। मैच से एक दिन पहले कभी सलाह नहीं दी। सूरत और देश के लिए आज का दिन गर्व की बात है। कॉमनवेल्थ गेम्स में हरमीत देसाई ने गोल्ड मेडल जीता है। गोल्ड मेडल जीतने की धुन उस पर सवार थी। उसे आम का जूस बहुत पसंद है। मैं उसके लिए साल भर के लिए आम का जूस रखती हूं। पिछले एक साल से उसे आम का जूस नहीं पिया है। इस वर्ष इसके लिए 10 किलो से अधिक आम का रस स्टोर किया किया है। जब वह सूरत आएगा तो सबसे पहले उसे आम का जूस पिलाऊंगीं। हरमीत अपनी डाइट को लेकर काफी सख्त हैं और पिछले 15 सालों से उन्होंने कोल्ड ड्रिंक्स को हाथ नहीं लगाया हैं। हरमीत जब भी सूरत आते हैं तो उनके साथ अभ्यास करने के लिए बहुत कम समय मिलता है। सूरत आने पर सीधे प्रैक्टिस करने चला जाते हैं। हालांकि मुझे उससे बात करने को भले नहीं मिलती, लेकिन देखने को मिलता है। मैं उसके साथ-साथ घूमती रहती हूं। -अर्चना देसाई, हरमीत की मां