नीतीश कुमार के सौजन्य से सोनिया गांधी को फोन करने के बाद बदल गया बिहार का राजनीतिक परिदृश्य

बिहार का राजनीतिक परिदृश्य बदला: बिहार में सियासी तस्वीर बदल गई है. नीतीश ने बीजेपी से नाता तोड़कर फिर से पुराने साथी के साथ मिलकर सरकार बना ली है. नीतीश कुमार ने एक नया महागठबंधन बनाने के बाद आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर बुधवार को शपथ ली. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को फिर से डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी को फोन किया था और फिर बिहार की राजनीतिक तस्वीर बदल गई है.

नीतीश कुमार ने कुछ मतभेदों के चलते बीजपी के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ अपना रिश्ता खत्म कर दिया और सियासी सफर के पुराने साथ लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के साथ फिर से हाथ मिला लिया.

एक फोन कॉल ने बदल दी सियासी तस्वीर!

बिहार से कांग्रेस के शीर्ष सूत्र के मुताबिक बिहार में राजनीतिक परिवर्तन की पटकथा शिष्टाचार भेंट से लिखी गई थी. एएनआई के हवाले से कहा गया कि ये कॉल नीतीश कुमार की ओर से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को की गई थी, जब वह कोविड-19 से संक्रमित थीं. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार के सोनिया गांधी से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के इस आह्वान के दौरान ही नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी के साथ अपनी राजनीतिक बातचीत के दौरान बीजेपी की ओर से बनाए जा रहे दबाव का जिक्र किया.

क्या बीजेपी कर रही थी जेडीयू को तोड़ने की कोशिश?

नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है. उन्होंने बिहार में बदलाव के लिए सोनिया गांधी से सहयोग मांगा. सोनिया गांधी ने उनसे राहुल गांधी से भी संपर्क करने के लिए कहा. कहा ये भी जा रहा है कि नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल कांग्रेस से संपर्क करने की जिम्मेदारी तेजस्वी यादव को दी. तेजस्वी यादव ने तुरंत कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से संपर्क किया.

मौका मिलते ही नीतीश ने खेल दिया दांव!

कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार के पार्टी प्रभारी भक्त चरण दास (Bhakta Charan Das) के संपर्क में रहने के लिए सहमत हुए. कहा जा रहा इसके बाद बातचीत हुई और बदलाव की स्क्रिप्ट तैयार हो गई. एएनआई के हवाले से सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार बदलाव के लिए इतना बहुमत चाहते थे कि बीजेपी सेंध लगाकर सरकार गिरा न पाए. नीतीश कुमार लेफ्ट और कांग्रेस के जरिए आंकड़ा 164 तक पहुंचने तक चुप रहे और मौका मिलते ही दांव खेल गए.

क्या बीजेपी नहीं भांप पाई?

राजनीति गलियारों में इस बात की चर्चा है कि बीजेपी (BJP) को बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की नाराजगी का अंदाजा तो था, मगर पाला बदलने की भनक उन्हें नहीं थी. बीजेपी संकेतों को भांप नहीं पाई. आरसीपी सिंह (RCP Singh) मामले में पैदा हुए विश्वास के संकट ने बीजेपी और जेडीयू (JDU) के बीच बनी खाई और चौड़ी कर दी. बहरहाल बीजेपी से लगभग पस्त हो चुके विपक्ष (Opposition) के लिए बिहार का घटनाक्रम उम्मीद की नई किरण की तरह है. 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में इसका कितना असर होगा ये देखने वाली बात होगी.

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