स्मीमेर के ICU का एसी बंद होने से बच्चों की मौतें चार गुना बढ़ीं, चालू पर 4, जबकि बंद रहने से 15 जानें गईं | The death of children increased four times due to the AC shutdown of the ICU of Smeer, 4 on the current, while 15 lives were lost due to the shutdown

सूरत42 मिनट पहले

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बच्चों के आईसीयू का एसी दो महीने तक बंद रहा । - Dainik Bhaskar

बच्चों के आईसीयू का एसी दो महीने तक बंद रहा ।

मनपा संचालित स्मीमेर अस्पताल में नवजात शिशुओं के आईसीयू के खराब एयरकंडीशनर (एसी) की मरम्मत, इसलिए नहीं हो पा रही कि मौजूदा कॉन्ट्रेक्टर का कार्यकाल पूरा हो गया है। ऐसी लाचारी व्यक्त करने वाले प्रशासन से नर्सिंग स्टाफ ने 25 मई को एसी के कूलिंग न करने की शिकायत की थी।

इंटरनेशनल किडनी कोलेब्रेटिव मेंबर डॉ. आकाश पंडित ने बताया कि एसी का टेम्प्रेचर रेगुलेशन न होने से नवजात शिशुओं में इंफेक्शन बढ़ने की संभावना रहती है। गर्मी से पसीना आने से उनमें विविध प्रकार के फंगस बैक्टिरियल फैलने की आशंका बढ़ जाती है।

स्मीमेर अस्पताल प्रबंधन को 25 मई को की गई शिकायत का 25 जुलाई तक निराकरण नहीं हो पाया। उसके बाद भास्कर की खबर पर अस्पताल प्रबंधन ने तात्कालिक अस्थाई व्यवस्था कर एसी चालू करवाया। स्मीमेर प्रबंधन ने माना कि एसी बंद रहने की अवधि के दौरान नवजात शिशुओं की मौत का रेशियो बढ़ गया, लेकिन उसे ध्यान में नहीं लिया गया।

इस संदर्भ में भास्कर की टीम ने एसी बंद होने के 62 दिनों में हुई कैजुअल्टी की तुलना एसी चालू रहने 26 अप्रैल से 24 मई तक 59 दिनों की अवधि से करने का प्रयास किया। जिसमें एसी बंद रहने की अवधि के दौरान 15, जबकि एसी चालू रहने के दौरान चार शिशुओं की मौत होने की बात सामने आई है।

शिशुओं की मौत एसी बंद होने के कारण हुई होने का भास्कर कोई दावा नहीं करता है, लेकिन एक्सपर्ट पीडियाट्रिशियन का कहना है कि एसी बंद होने पहले से मौजूद बीमारी और कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों में संक्रमण से इनकार नहीं किया जा सकता। कर रहे हैं। आप ने स्वास्थ्य विभाग से जांच की मांग भी की है।

विशेषज्ञ बोले : गर्मी से बच्चों में इंफेक्शन-फंगस और बैक्टीरिया के हमले की संभावना रहती है

AC बंद रहने के दौरान 25 मई से 25 जुलाई तक 15 बच्चों की मौत की आशंका

AC चालू रहने के दौरान 26 मार्च से 24 जून तक 4 बच्चों की मौत हुई

दर्द से बेटी कराहती रही, दूसरे दिन मौत

10 जून को जस्मिन की मौत हो गई थी। जस्मिन के पिता अविनाश मौर्या ने बताया कि पीआईसीयू में उपचार ले रही बेटी दर्द से रातभर कराहती रही, चिल्लाती रही, लेकिन डॉक्टर उसके बेड तक नहीं गए। एसी बंद होने से आईसीयू बेकार लगता था।

गर्मी से बाहर आना पड़ता था

15 जुलाई को मृत घोषित की गई विकी खरवर के पिता कृष्णा ने बताया कि स्मीमेर में पीआईसीयू में पत्नी संजूदेवी ध्यान रखती थी। वह बताती थी कि आईसीयू में गर्मी से बाहर आना पड़ता था।

क्या हैं आईसीयू के नियम

छह महीने से स्मीमेर अस्पताल के पीआईसीयू में फ्यूमिगेशन नहीं, अन्य सुविधाओं का भी अभाव, जरूरी दवाओं का स्टाक भी नहीं है

नियमानुसार पीआईसीयू के निकट में ही इमरजेंसी यूनिट, ऑपरेशन थिएटर, लेबोरेटरी और रेडियोलॉजी विभाग होना चाहिए। हालांकि स्मीमेर में इस व्यवस्था का अभाव देखने को मिला। पीआईसीयू में 10 बाल रोगी उपचार ले रहे होने के बावजूद 1 नर्स ही दायित्व निभाती है, जबकि यहां 4 नर्स की जरूरत है।

बेड के निकट इंटर कॉम सुविधा नहीं। साथ ही डायग्नोस्टिक के साधनों में पोर्टेबल ईसीजी, अल्ट्रासाउंड, हेली ऑक्स हीटिंग और कूलिंग कंबल, स्तन पंप जैसी सुविधाएं नहीं हैं। एसाक्लोवीर, एमिओडेरॉन, एट्राक्यूरियम, केप्ट्रोपिल, डेस्मोप्रेसिन और डायजेपॉम जैसी दवाएं उपलब्ध न होने की बात नर्स ने बताई थी।

एक्सपर्ट व्यू

आईसीयू में एसी बंद होने से शिशु रोगियों को समस्या हो सकती है

इंटरनेशनल किडनी कोलेब्रिटिव के मेंबर और लखनऊ नियोनाटोलॉजी फोरम के सेक्रेटरी डॉ. आकाश पंडित ने पीआईसीयू में एसी बंद होने से शिशु रोगियों को होने वाली समस्या के बारे में बताते हुए कहा कि आईसीयू में टेम्प्रेचर रेगुलेशन नहीं होने से इंफेक्शन की संभावना अधिक होती है। गर्मी बढ़ने से फंगस से ग्रो करने के साथ मौजूद स्टाफ को पसीना आए तो भी बाल रोगी को इंफेक्शन होने की संभावना रहती है।

एसी बंद होने के दौरान बच्चों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई। हालांकि एसी बंद होने की अवधि और पूर्व के 60 दिनों की तुलना करने पर इतनी गंभीर लापरवाही सामने आना बहुत ही कम स्टडी पीरियड कह सकता हैं। जांच कराएंगे। -डॉ. वंदना देसाई, इंचार्ज सुप्रिंटेंडेंट, स्मीमेर

तापमान कंट्रोल न होने से बच्चों में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। फंगस व ग्राम बैक्टीरिया अटैक कर सकते हैं। शरीर का हाइड्रेशन लेवल बिगड़ सकता है– डॉ. आकाश पंडित, सीनियर कंसलटेंसी हेड,नियोनाटोलॉजी, मेदांता, लखनऊ

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