चीता परियोजना: आंखों पर पट्टी बांधे और बेहोश चीतों को भारत लाने के लिए चीतों का उच्च स्तरीय परीक्षण, कुनो अभयारण्य में आज स्वागत करेंगे पीएम मोदी | मध्य प्रदेश का दौरा करेंगे पीएम मोदी और कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को रिहा करेंगे: गुजराती में विवरण

पीएम नरेंद्र मोदी बर्थडे: इन चीतों को भारत लाए जाने से पहले नामीबिया के जंगलों में मौत के घाट उतार दिया गया था। एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया गया। इसके बाद चीतों का परीक्षण किया गया कि कहीं वे बेहोश तो नहीं हो गए।

चीता परियोजना: आंखों पर पट्टी बांधे और बेहोश चीतों को भारत लाने के लिए चीतों का उच्च स्तरीय परीक्षण, कुनो अभयारण्य में आज पीएम मोदी का स्वागत

छवि क्रेडिट स्रोत: फ़ाइल छवि

नामीबिया से (नामीबिया) 8 चीताहे (चीता) बोइंग का एक विशेष विमान भारत के लिए रवाना हो गया है। विमान से ग्वालियर लाए जाने के बाद इन तेंदुओं को हेलिकॉप्टर से कुनो नेशनल पार्क में शिफ्ट किया जाएगा। भारत लाए गए सभी पांच चीतों की उम्र दो से पांच साल के बीच है जबकि नर चीतों की उम्र 4.5 से 5.5 साल के बीच है। आपको बता दें कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर जिले में स्थित है, जो ग्वालियर से लगभग 165 किमी दूर है। इन चीतों को नामीबिया से बेहोश कर लाया जा रहा है।

इन चीतों को भारत लाए जाने से पहले नामीबिया के जंगलों में इच्छामृत्यु दी गई थी। एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया गया। इसके बाद चीतों का परीक्षण किया गया कि कहीं वे बेहोश तो नहीं हो गए। बेहोश करने के बाद सभी चीतों को वन अस्पताल लाया गया, जहां पशु चिकित्सकों की टीम ने चीतों का मेडिकल परीक्षण किया। आंखों पर पट्टी बांध दी थी। भारत रवाना होने से पहले सभी चीतों की फिटनेस की जांच की गई। फिटिंग के बाद प्रत्येक चीता के गले में सैटेलाइट-जीपीएस-वीएचएफ रेडियो कॉलर लगाए गए। क्योंकि भविष्य में हर तेंदुए की पहचान हो सकेगी। इसके बाद इन चीतों को विशेष बोइंग विमान में बिठाया गया।

Kratus . के भीतर एक विशेष व्यवस्था

इन सभी तेंदुओं को बड़ी गंभीरता से भारत लाया जा रहा है. इन सभी चीतों को नामीबिया से अलग-अलग तरह के टोकरे में भारत लाया जा रहा है। टोकरे में कई छेद होते हैं, जिससे शरीर हिल सकता है। चीते को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए टोकरे के अंदर हर तरह की व्यवस्था की गई है। क्रेट के अंदर रबर मैट का इस्तेमाल किया जाता है।

11 घंटे तक स्पेशल प्लेन में सफर करेंगे ये चीते

टोकरे की लंबाई और चौड़ाई का भी ध्यान रखा गया है, ताकि चीते लेट सकें या खड़े हो सकें। आपको बता दें कि इन चीतों को पूरी यात्रा के दौरान भूखा रखा जाएगा, ताकि उड़ान के दौरान उनकी तबीयत खराब न हो। चीता एक विशेष विमान में करीब 11 घंटे का सफर तय करेगा। बोइंग स्पेशल विमान लगातार 16 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है और इसे हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है।

गौरतलब है कि देश का आखिरी चीता 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में मारा गया था। 1952 में भारत में तेंदुए को विलुप्त घोषित किया गया था। ‘भारत में अफ्रीकी चीता परिचय परियोजना’ 2009 में शुरू हुई और हाल के वर्षों में इसमें तेजी आई है। भारत ने तेंदुओं के आयात के लिए नामीबिया सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

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