आर्थिक संकट भारत पड़ोसी देश आईएमएफ का कर्ज पाकिस्तान श्रीलंका अब बांग्लादेश

आर्थिक संकट: कोरोना महामारी के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में लगातार गिरावट हो रही है और कर्ज लेने में भारत के पड़ोसी देश सबसे आगे निकलते जा रहे हैं. कर्ज लेने के मामले में पहले नंबर पर पाकिस्तान (Pakistan) है तो दूसरे नंबर पर श्रीलंका (Sri Lanka) और अब तीसरे नंबर पर बांग्लादेश (Bangladesh) भी आ गया है. कर्ज लेने के लिए बांग्लादेश अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बातचीत शुरू करने जा रहा है.

बांग्लादेश ने कुछ ही दिन पहले कर्ज के लिए अपना आवेदन आईएमएफ (IMF) के पास भेजा था. इस तरह दुनिया भर में बढ़ रहे मौजूदा आर्थिक संकट (Economic Crisis) के बीच बांग्लादेश तीसरा ऐसा दक्षिण एशियाई देश (South Asian Country) बना है, जो आईएमएफ की पनाह में गया है.

किसने कितना कर्ज लिया है…

विदेशी मुद्रा भंडार से कर्ज लेने में पाकिस्तान सबसे आगे है. भारत के इस पड़ोसी मुल्क ने वित्त वर्ष 2021-2022 की पहली तीन तिमाही में 10.886 अरब डॉलर का कर्ज लिया था जो पूरे वित्त वर्ष 2021 में 13.38 अरब डॉलर था. 2022 की पहली तिमाही में कर्ज 1.653 अरब डॉलर रहा जबकि 2020-2021 की पहली तिमाही में यह 3.51 अरब डॉलर था. लेकिन 2022 की दूसरी तिमाही में कर्ज बढ़कर 4.357 अरब डॉलर और तीसरी तिमाही में बढ़कर 5194 अरब डॉलर हो गया है.

श्रीलंका की सरकार ने विदेशी मुद्रा कोष से जो कर्ज लिया है वो अब बढ़कर 51 बिलियन डॉलर हो गया है. इसमें से 6.5 बिलियन डॉलर चीन का है और दोनों देश इसे लेकर फिर से विचार कर रहे हैं. इस साल श्रीलंका को अपने कर्ज़ के लिए 874 बिलियन डॉलर का भुगतान करना होगा. विश्व बैंक श्रीलंका को 600 मिलियन डॉलर का उधार देने के लिए सहमत हो गया है.

बांग्लादेश ने विदेशी मुद्रा भंडार से अबतक 762 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया है जिसके बाद वह भारत का तीसरा पड़ोसी देश है जिसने इतना ज्यादा कर्ज लिया है. चौथे नंबर पर अफगानिस्तान है जिसने अबतक विदेशी मुद्रा भंडार से 378 मिलियन डॉलर का कर्ज लिया है, पांचवें नंबर पर म्यांमार है और सातवें नंबर पर नेपाल है.

बांग्लादेश ने विदेशी मुद्रा कोष से 4.5 बिलियन डॉलर का कर्ज मांगा

बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार के मुताबिक बांग्लादेश ने विदेशी मुद्रा कोष से 4.5 बिलियन डॉलर का कर्ज मांगा है. बांग्लादेश की शेख हसीना वाजेद सरकार ने आईएमएफ के पास जाने का फैसला विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से आई गिरावट के बाद किया है. जानकारों के मुताबिक प्राकृतिक गैस समेत दूसरे आयात का बिल तेजी से बढ़ने और निर्यात में गिरावट के कारण बांग्लादेश भी विदेशी मुद्रा के संकट में फंसता दिख रहा है.

कोरोना महामारी से आर्थिक संकट गहराया

कोरोना महामारी के बाद दुनिया के करीब 90 देशों में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है और विदेशी मुद्रा कोष से कर्ज हासिल करने के लिए आईएमएफ के पास ये देश पहुंच चुके हैं लेकिन IMF की भी मजबूरी है कि उनमें से कुछ ही देशों को वह कर्ज देने पर राजी हुआ है. आईएमएफ के पास सदस्य देशों को एक ट्रिलियन डॉलर तक कर्ज देने की क्षमता है और इसमें से अभी तक उसने 250 बिलियन डॉलर कर्ज देने का मन बनाया है. आईएमएफ अक्सर कड़ी शर्तों के साथ कर्ज देता है. इसलिए विभिन्न देशों उसकी शर्तें विवाद का बड़ा कारण बन जाती हैं.

ये भी पढ़ें:

Bangladesh Fuel Prices Hike: बांग्लादेश में बड़ा आर्थिक संकट, पेट्रोल-डीजल के दाम 50% बढ़े – सड़कों पर उतरे लोग

China ने एकबार फिर दिखाई दादागिरी, बांग्लादेश से बिना पूछे विदेश मंत्री की यात्रा तय की, बदले में मुंह की खानी पड़ी

أحدث أقدم