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- परिवार का आरोप नवजात था जिंदा, अस्पताल ने किया मृत घोषित, अस्पताल ने कहा बच्ची की मौत, इलाज संभव नहीं
सूरत2 घंटे पहले
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सिविल अस्पताल में इलाज के दाैरान नवजात शिशु माैत हाे गई।
डिंडोली नवागाम के एक परिवार ने गोडादरा के नवजीवन हॉस्पिटल पर उनके बच्चे के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। परिवार के लाेगाें का कहना है कि अस्पताल ने उनके बच्चे के जिंदा हाेने के बावजूद मृत बताया और उसे ट्रे में घंटों तक खुला छोड़ दिया। वहीं अस्पताल की डॉक्टर का कहना है कि बच्चा प्रीमैच्योर था, उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि उसका इलाज किया जा सके।
डिंडोली नवागाम के गोवर्धन नगर में रहने वाले सविता और सुभाष वर्मा की एक पांच वर्षीय संतान है। सविता काे गर्भ का छठा महीना चल रहा था, इसी बीच उनके पेट में अचानक दर्द होने लगा फिर उन्हें स्मीमेर अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद सविता को गोडादरा स्थित नवजीवन अस्पताल में ले जाया गया। जहां सविता ने मंगलवार काे एक बच्चे को जन्म दिया।
सविता के पति सुभाष वर्मा का कहना है कि नवजीवन अस्पताल के डॉक्टर ने अपने रिपोर्ट में बच्चे काे मृत बताया था। जबकि बच्चा जिंदा था। साथ ही उसे ट्रे में कई घंटे तक खुला छाेड़ दिया गया। हमें बच्चे के पास भी नहीं जाने दिया जा रहा था। हमने कहा कि हमारे बच्चे का इलाज कराे या हमें दे दाे। लेकिन अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ ने बच्चा देने से मना कर दिया।
हमने बच्चे का वीडियो भी बनाया, जिसमें बच्चा जिंदा दिखाई दे रहा है। इसके बाद अस्पताल के डॉक्टर की इजाजत से हमें बच्चा दे दिया गया। इसके बाद हम बुधवार काे बच्चे काे सिविल अस्पताल ले गए, तब वह जिंदा था। सिविल में इलाज के दाैरान उसकी माैत हाे गई।
बिल को लेकर परिवार के लोगों से बहस हुई थी
सविता का प्रसूति करने वाले डॉक्टर मुकेश बलदाड़िया ने बताया कि बच्चा मरा हुआ था। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि उसका इलाज करना संभव नहीं था। इलाज होने के बावजूद बच्चे को बचाया नहीं जा सकता था। इलाज होता भी तो बच्चा मानसिक रूप से अस्वस्थ होता या उसमें कई तरह के कॉम्प्लीकेशंस होते।
यही बात हमने परिवार वालों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन वे समझने को तैयार नहीं थे। साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चे का इलाज नहीं किया है तो हम बिल क्यों दे, इस बात पर बहस भी हो गई थी।