कोटा12 मिनट पहलेलेखक: मुकेश सोनी
कोटा का महावीर नगर विस्तार। सुबह के 5 बजे थे। लोग रोज के काम में लगे थे, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि मौत उनके बीच घूम रही है। दबे पांव आए इस खतरे की किसी को भनक भी नहीं थी।
इस बीच अचानक कॉलोनी में शोर मचने लगा। किसी को समझ नहीं आया कि आखिर क्या हुआ। पहले तो लगा बंदर आया है, धीरे-धीरे पता चला की इलाके में तेंदुआ घूम रहा है। फिर हाहाकार मच गया। लोगों को लगा मौत सामने खड़ी है।
वहीं, सबसे पहले जिस व्यक्ति से उसका सामना हुआ वह जान बचाने के लिए छत से कूद गया। वहीं, दूसरे पर तेंदुए ने इतने वार किए की पीठ पर 16 घाव हो गए। जो जहां था वहीं छुपकर बैठ गया। लोगों ने खुद को घर में कैद कर लिया।
करीब 6 घंटे तक कॉलोनी में दहशत बनी रही। इस बीच तेंदुए ने चार लोगों पर हमला कर दिया। रेस्क्यू टीम पहुंची तो लोगों में हौसला आया। सभी छतों पर चढ़ गए। आखिर तेंदुए को ट्रेंकुलाइज कर ले गई। भास्कर रिपोर्टर को प्रत्यक्षदशियों ने दहशत के बीच बीती सुबह के बारे में बताया…
घर में खड़ी गाड़ी पर बैठा नजर आया तेंदुआ…
रोज शाखा में जाता हूं। इसलिए 5 बजे उठता हूं। मेरे घर में रहने वाला किराएदार रात को घर नहीं लौटा था। उसने सुबह जल्दी आने को कहा था। पौने 6 बजे होंगे उसने घंटी बजाई। बालकनी से देखा और गेट खोलने के लिए सीढ़ियों पर गया। जैसे ही चाबी लेने नीचे उतरा। चौक में खड़ी गाड़ी पर तेंदुआ बैठा था। उसको देखकर वापस सीढ़ियां चढ़ने लगा। तेंदुआ भी मेरे पीछे भागा। जांघ पर पंजा मार दिया।
मैं भागकर वापस नीचे आ गया। डर के मारे अपने कमरे में चला गया। गेट बंद कर लिया। जाली के दरवाजे में से बाहर देखता रहा। तेंदुआ वापस ऊपर आया, बाथरूम पर चढ़ा। बालकनी से सीधे नीचे छलांग लगा दी। नीचे दो बच्चे खड़े थे। तेंदुए को देखकर वह भी भाग गए। मेरी पत्नी व बच्चा घर पर सो रहे थे। चिल्लाने की आवाज सुनकर वो भी जाग गए। उन्होंने पड़ोसियों और पुलिस को फोन करके सूचना दी।
तेंदुए को सबसे पहले गोपाल महावर ने देखा था और उन पर हमला भी किया। इसके बाद पूरे घर में हंगामा मच गया। जो जहां था वहां छुप गया।
पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई
गोपाल महावर के घर रहने वाले युवक मयंक मीणा ने बताया- जैसे ही तेंदुआ हमारे घर से भगा, तुरंत पुलिस को सूचना दी। कुछ देर बाद पुलिस की 2 गाड़ियां आई। उनसे कहा कि मोहल्ले में सूचना कर दीजिए। इलाके में तेंदुआ आया है। ताकि लोगों को पता लग जाएगा, और वो सावधान हो जाएंगे, लेकिन पुलिसकर्मी गाड़ी से नहीं उतरे और थोड़ी देर बाद वहां से चले गए।
मयंक ने बताया कि यदि समय पर इलाके के लोगों को सतर्क किया जाता तो लोग घायल होने से बच जाते है और तेंदुए का रेस्क्यू भी आसानी से हो जाता।
हाथ चबा गया तेंदुआ…
दूसरे मकान की छत पर पहुंचे तेंदुए ने उसके मकान मालिक को घायल कर दिया। मालिक रामविलास ने बताया कि-
घटना सवा से साढ़े 7 बजे की है। मैं पत्नी और दो बच्चे घर में मौजूद थे। रोज की तरह परिवार के साथ मॉर्निंग वॉक कर घर पर लौटा था। पत्नी चाय बनाने रसोई में गई। मैं कबूतरों को दाना डालने छत पर गया था। छत का गेट खोलते ही सामने तेंदुआ नजर आया। उसने आते ही हमला कर दिया। हमले से बचने के लिए मैंने बायां हाथ आगे कर दिया। उसका जबड़ा पकड़ने की कोशिश की। इस कारण मेरा हाथ तेंदुए के जबड़े में आ गया।
करीब एक से डेढ़ मिनट के संघर्ष में रामविलास के कूल्हे व हाथ पर तेंदुए ने हमला किया। उनके करीब 10 घाव हुए हैं।
इसके बाद मैंने देखा कि पड़ोसी की छत खुली है। जान बचाने के लिए पड़ोसी की छत की ओर भागा। तेंदुआ भी पीछे आया। मैं मेरी छत से 5 फीट नीचे पड़ोसी की छत पर कूद गया। पीछे-पीछे तेंदुआ भी कूद गया। इस बीच हवा में ही तेंदुए ने मेरी कमर के नीचे पंजा मार दिया। हम दोनों पड़ोसी की छत पर थे। मुझे चंद कदमों पर मौत खड़ी दिखने लगी। ऐसे में मेरे गुरु की कही बात याद आ गई। उन्होंने कहा था जब खूंखार जानवर हमला करें तो उसकी आंख में आंख डालकर देखना चाहिए। जोर से चिल्लाना चाहिए। मैंने भी ऐसा ही किया। तेंदुए की आंख से आंख मिलाई। जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। चिल्लाने से तेंदुआ डर के भाग गया। मेरी चिल्लाने की आवाज सुनकर पड़ोसी ओर बच्चे आ गए।
हरिशंकर को पहले लगा की छत पर बंदर आया है। फिर मौत को सामने देखकर तेंदुए से भिड़ गए।
30 सेकेंड….मौत को नजदीक से देखा
इसके बाद भी तेंदुए का आतंक खत्म नहीं हुआ और वही नजदीक स्थित एक दूसरे मकान पर पहुंच गया। यहां हरिशंकर वर्मा (64) ने बताया–
घटना 7:30 बजे के आसपास की है। घर पर मैं और पत्नी मौजूद थी। पत्नी ने सब्जी लाने के लिए कहा था। मैं सब्जी लाने जा ही रहा था। छत से कूदने की आवाज आई। हमने सोचा बंदर होगा। मैं ऊपर नहीं गया। जैसे ही बाहर जाने के लिए दरवाजा खोला तो ऊपर सीढ़ियों से एक गमला गिरा। तेंदुआ आता हुआ नजर आया। तेंदुए को घर के अंदर जाने से रोकने के लिए मैंने तुरंत गेट बंद कर दिया। खुद तेंदुए की तरफ पीठ करके गेट के बाहर खड़ा हो गया। तेंदुए ने पीठ पर पंजा मारा। उसी दौरान उसका जबड़ा मेरे कंधे पर आ गया। मैंने हाथ से उसके जबड़े को पकड़ लिया। वैसे भी मौत सामने थी। इसीलिए उससे भिड़ने की हिम्मत हो गई। मुश्किल से 20 से 30 सेकेंड में तेंदुआ वहां से भागा। सीढ़ी पर लगा कांच तोड़कर करीब 12 फीट नीचे कूद गया। 60 से 70 फीट दूरी पर एक मकान से होता हुआ कॉलोनी में चला गया। मेरी पीठ और हाथ पर 16 घाव लगे।
हरिशंकर वर्मा के घर की सीढ़ियों पर लगा कांच। इस तोड़कर तेंदुआ बाहर कूद गया।
हरिशंकर की पीठ व हाथ तेंदुए के पंजों के निशान देखे जा सकते है। उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। जहां से इलाज के बाद उन्हें घर भेज दिया गया है।
परिवार तीन घंटे एक कमरे में कैद रहा…
तेंदुए के साथ सबसे ज्यादा खौफ के पल जिस परिवार ने बिताए उसकी आंखों में डर अब तक देखा जा सकता है। पति-पत्नी देर शाम तक खौफ में रहे। तेंदुआ तीन लोगों को घायल करने के बाद एक दूसरे मकान में घुस गया। यहां रहने वाली उषा नंदवाना ने बताया–
करीब सुबह के 7.35 बजे होंगे। जिस समय तेंदुआ सीढ़ी के सहारे घर में घुसा। मैं चौक में काम कर रही थी। उसने नीचे उतरकर चौक में दहाड़ मारी। मैंने समझा बंदर है। पीछे मुड़कर देखा तो मुंह से शेर निकला। तेंदुआ किचन की तरफ जाता हुआ नजर आया। उस वक्त पति पीछे वाले कमरे में थे। मैं भागकर कमरे में गई। गेट लगाकर अंदर की कुंडी बंद कर दी। फिर अंदर से मोबाइल के जरिए रिश्तेदार व पड़ोसियों को सूचना कर दी।
कमरे में बंद मैं और मेरे पति हर पल यही सोचते रहे कि अब क्या होगा, यदि तेंदुआ अंदर आ गया तो क्या हम जिंदा रहेंगे?
उषा ने बताया सुबह का वक्त था। 3 घंटे तक कमरे में बंद रहे। सुबह कॉफी और बिस्किट खा रखे थे। हल्की सर्दी का समय होने के कारण 3 घंटे तक हमें भूख और प्यास नहीं लगी। पीछे वाले कमरे में खाने-पीने का कुछ भी सामान नहीं था, वो तो किस्मत से मोबाइल उसी कमरे में था। मोबाइल के सहारे हमें काफी राहत मिली।
पौने 3 घंटे बाद राहत भरी सूचना मिली
जब हम कमरे में बंद थे, हर मिनट तेंदुए के अंदर आने का डर सता रहा था। पुलिस अधिकारियों फोन के जरिए संपर्क में थे। पुलिस अधिकारियों ने हमें सलाह दी कि गेट पर बक्सा या कोई भारी चीज लगाकर रखें। ताकि तेंदुआ हमला करने की कोशिश करे तो गेट नहीं खुले। हमनें गेट की कुंडी लगाने के साथ दो बक्से लगा दिए। कुंडी को हथौड़ी से ठोक दिया। ताकि गेट नहीं खुले। रेस्क्यू टीम के लगातार फोन आ रहे थे। वो दिलासा दे रहे थे। लगभग 11 बजे के आसपास हमें राहत की सूचना मिली।
मैंपड़ोसियों को फोन कर इकट्ठा किया हल्ला मचाया
उषा की पड़ोसी मधु सिंह ने बताया कि-
सुबह के वक्त सब लोग सो कर उठे थे। अपना अपना काम कर रहे थे। गिरजा शंकर नंदवाना की छत पर तेंदुए को आते हुए देखा। उस वक्त वो अपनी छत पर थी। फिर मैंने पड़ोसियों को फोन कर इकट्ठा किया। हल्ला मचाया। हाथ में डंडे लेकर नीचे खड़े हो गए। फिर पुलिस आई। थोड़ी देर बाद फारेस्ट विभाग की टीम आई। करीब 11 बजे तेंदुए को रेस्क्यू किया। इस दौरान सभी दहशत में रहे।
भास्कर रिपोर्टर भी तेंदुए के रेस्क्यू के दौरान कॉलोनी में मौजूद रहा। हर पर को कैमरे में कैद किया।
तेंदुए के कॉलोनी में घुसने के करीब चार घंटे के बाद सुबह नौ बजे मौके पर पहुंची। इसके बाद करीब 9 बजकर 28 मिनट पर गन को इंजेक्शन से रेडी किया गया। मकान में जगह कम होने की वजह से तेंदुए की लोकेशन बारे में जानकारी नहीं मिल रही थी।
इसके लिए टीम ने मेन गेट से अंदर वाले गेट को बंद कर दिया। बाहर मौजूद भीड़ को हटाया। फिर गन को तैयार कर सबसे पहले छत की सीढ़ियों पर जाल लगाया। उस जाल से नीचे चौक में पटाखे फोड़े गए। साथ ही पत्थर फेंके। ताकि तेंदुआ डर के कारण कुछ हरकत करे। बाहर निकले, लेकिन वो कमरे से बाहर नहीं आया।
फॉरेस्ट टीम ने मकान की छत से और दूसरे एग्जिट पॉइंट को बंद कर दिया। इसके बाद तेंदुए को बाहर निकालने के प्रयास शुरू हुए।
फॉरेस्ट विभाग की टीम ने रस्सी के सहारे मोबाइल को बांधकर नीचे लटकाया। तब भी तेंदुआ कैमरे में कैद नहीं हुआ। टीम ने एक लंबे पाइप से रसोई के पास चौक के गेट को बंद कर दिया। फिर टीम के 2 सदस्य छत का जाल हटाकर नीचे उतरे। उन्होंने रसोई की खिड़की के शीशे तोड़े। तेंदुए पर नजर रखना शुरू किया। तेंदुआ रसोई और एक कमरे के बीच घूम रहा था।
फॉरेस्ट विभाग की टीम के पास किसी भी तरह के कैमरे मौजूद नहीं थे। जिससे तेंदुए की सही लोकेशन की जानकारी मिल सके। इसलिए एक रस्सी से मोबाइल बांधकर नीचे लटकाया गया।
किचन की पट्टी पर आते ही निशाना लगाया
फारेस्ट विभाग का शूटर भी नीचे पहुंचा। कुछ देर बाद जैसे ही तेंदुआ किचन में आकर पट्टी पर बैठा। शूटर ने 10 बजकर 53 मिनट पर निशाना लगा दिया। इंजेक्शन लगते ही तेंदुआ किचन की पट्टी पर ही बेहोश हो गया। 10 बजकर 54 मिनट पर तेंदुए के ट्रेंकुलाइज करने की जानकारी दी गई।
जाल से नीचे पत्थर और पटाखे फेंके गए। हालांकि, तेंदुए ने इस पर भी कोई रिएक्शन नहीं दिया और किचन में ही बैठा रहा।
कांस्टेबल पर हमला किया
रेस्क्यू में शामिल पुलिस कांस्टेबल कमलेश शर्मा ने बताया किचन की खिड़की की जाली और शीशे तोड़कर तेंदुए पर नजर रखी। जैसे ही तेंदुआ किचन की पट्टी पर बैठा तो शूटर ने ट्रेंकुलाइज के लिए इंजेक्शन से फायर किया।
करीब 10 से 15 मिनट बाद लगा कि वो बेहोश हो चुका है। फिर हम लोग अंदर गए। जैसे ही नेट डालने लगे, अचानक से तेंदुए ने हमला किया। मेरे दाहिने हाथ पर पंजा मार दिया। फिर हमने नेट डालकर उसको थोड़ी देर तक दबाए रखा। दोबारा इंजेक्शन का डोज देकर ट्रेंकुलाइज किया। 10 से 15 मिनट बाद उसको लेकर बाहर गए। एक डोज से वो कंप्लीट बेहोश नहीं हुआ। उसे दूसरा डोज देना पड़ा।
तेंदुआ किचन में आकर पट्टी पर बैठा। इसी जगह शूटर ने डार्ट से इंजेक्शन फायर कर तेंदुए को ट्रेंकुलाइज किया।
रिस्क लेनी पड़ी
फारेस्ट विभाग के शूटर डॉक्टर तेजेंद्र सिंह ने बताया कि सबसे पहले विभाग की टीम ने तेंदुए के एग्जिट प्वाइंट को बंद किया। फिर उसे लोकेट कर ट्रेंकुलाइज करने की प्रक्रिया शुरू की। तेंदुआ आबादी क्षेत्र में घुसा था। इसलिए विभाग के लिए एक-एक कदम चुनौतीपूर्ण था। उसको अप्रोच करने के लिए कोई जगह नहीं थी, जगह बनाकर, रिस्क लेनी पड़ी।
फॉरेस्ट विभाग की टीम के 2 सदस्य छत का जाल हटाकर नीचे उतरे और तेंदु को ट्रेंकुलाइज करने की प्रोसेस स्टार्ट की।
मकान में जगह कम होने की वजह से तेंदुए की लोकेशन बारें में जानकारी नहीं मिल रही थी।
डॉक्टर ने बताया कि तेंदुए का हेल्थ एग्जामिन किया जाएगा। उसके पैर में घाव है। घाव भरने के बाद उसे रिलीज किया जाएगा।
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कोटा के एक घर में शनिवार सुबह तेंदुआ घुस गया। वह किचन में जाकर बैठ गया। रसोई में तेंदुए को देख घर में रहने वाले व्यक्ति और उसकी पत्नी ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। वे अपनी जान बचाने के लिए चीखते-चिल्लाते रहे और तेंदुआ किचन में बैठा गुर्राता रहा।
पड़ोसियों की सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम ने काफी मशक्कत के बाद ट्रेंकुलाइज करके तेंदुए को काबू किया। उसे अभेडा बायोलॉजिकल पार्क ले जाया गया। लेकिन, तब तक वह चार लोगों को पंजा मारकर घायल कर चुका था। (पूरी खबर पढ़ें)