निगम डिप्टी कमिश्नर ​​​​​​​गजेंद्रसिंह की एफआईआर भी थाने ने दर्ज नहीं की गई | The FIR of Corporation Deputy Commissioner Gajendra Singh was also not registered by the police station.

कोटाएक घंटा पहलेलेखक: शैलेंद्र माथुर

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यूडीएच मंत्री के फाेन पर भी नहीं मिलीं। - Dainik Bhaskar

यूडीएच मंत्री के फाेन पर भी नहीं मिलीं।

नगर निगम में कहावत है- बाबू, जाे किसी से न आए काबू। प्रशासन शहराें के संग अभियान में भी ऐसा ही दिख रहा है। कोटा नगर निगम से भी 100 से ज्यादा पट्‌टों की फाइलें गायब हैं।

हद तो यह है कि एक व्यक्ति ने एनओसी के लिए फाइल लगाई, जिसमें सारे दस्तावेज थे। लेकिन यह गायब हाे गई। इसमें यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने तीन बार निगम अधिकारियों को फोन किए लेकिन फिर भी कुछ नहीं हो सका। एक मामले में दक्षिण निगम के डिप्टी कमिश्नर गजेंद्रसिंह ने एफआईआर दर्ज करवाने के लिए किशाेरपुरा थाने में पत्र भेजा, लेकिन वह तक दर्ज नहीं हाे पाई।

यूडीएच मंत्री ने भी अपनी फाइल नगर निगम में लगाई थी। इसी तरह जगपुरा, अनंतपुरा, लखावा आदि क्षेत्र के लाेगाें की पट्टे के लिए लगा रखी फाइलें गायब हैं। दक्षिण नगर निगम के महापौर का कहना है कि सर्च नोट निकालने को कहा है, प्रक्रिया पूरी होने पर ही डुप्लीकेट फाइल बनेगी।

एक नियम से बच रहे कर्मचारी
नगर निगम में डुप्लीकेट फाइल बनाने की प्रक्रिया पेचीदा है। फाइल गायब हाेने पर संबंधित अनुभाग के अधिकारी सर्च नाेट जारी करेंगे। नहीं मिलने पर थाने में रिपाेर्ट दर्ज होती है। पुलिस निगम से ही सर्च नाेट व अन्य जानकारी मांगती है, जाे निगम उपलब्ध नहीं करवाता। पुलिस भी एफआर लगा देगी। एफआर के आधार पर निगम दोबारा आवेदक से ही संबंधित दस्तावेज मांगता है।

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