धनबाद28 मिनट पहले
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गंगादामोदर व स्वर्णरेखा एक्सप्रेस को इंटरलिंक कर चलाने के निर्णय का बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया है।
गंगादामोदर व स्वर्णरेखा एक्सप्रेस को इंटरलिंक कर चलाने के निर्णय का बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया है। इसके खिलाफ ख़ास कर धनबाद में रहने वाले बिहार के लोगों में जबरदस्त उबाल है। बिहार के लोगों ने इसे अपनी हकमारी बताया है। लोगों का कहना है कि गंगादामोदर एक्सप्रेस में पूरे साल धनबाद से बिहार जाने वालों की भीड़ रहती है। पटना के अलावा सबसे अधिक भोजपुर, बक्सर सहित अन्य जिलों के लोग इस ट्रेन से यात्रा करते हैं। यहां तक कि यूपी के सीमावर्ती जिलों के लोग भी इसी ट्रेन को पसंद करते हैं।
अब इसका विस्तार करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से टाटा को दे दिया गया है। जिसका सबसे अधिक प्रभाव धनबाद के लोगों को ही होगा। रेलवे के इस निर्णय खिलाफ बिहार के लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। धनबाद में रहने वाले बिहार के लोगों ने दैनिक भास्कर को बताया कि इस पर पुनर्विचार नहीं होने की स्थित में अगर उग्र जन आंदोलन हुआ तो इसकी जिम्मेवारी रेलवे की होगी।
क्या है निर्णय | रेलवे ने गंगादामोदर व स्वर्णरेखा एक्सप्रेस को एक साथ जोड़ कर चलाने का निर्णय लिया है। जिसके बाद गंगा दामोदर एक्सप्रेस धनबाद पहुंच कर 10 मिनट बाद स्वर्ण रेखा एक्सप्रेस के नंबर के साथ टाटा के लिए रवाना की जाएगी। उसी प्रकार टाटा से धनबाद पहुंचने पर स्वर्ण रेखा एक्सप्रेस 20 मिनट रूकने के बाद गंगादामोदर बनकर पटना के लिए रवाना कर दी जाएगी। यह निर्णय सोमवार 7 नवंबर से प्रभावी होगा।
क्या कहते हैं लोग
“इस ट्रेन को टाटा से कर दिया गया है। गंगादामोदर अगर धनबाद से गई तो हम बिहार के लोगों को घर आने जाने के लिए आसानी से सीट नहीं मिलेगी।”
-अमरेश कुमार, बख्तियारपुर।
“हम लोगों को पटना-बक्सर होकर घर जाने के लिए गंगादामोदर एक्सप्रेस से बहुत सहूलियत होती है। हम लोगों को सीट मिलने में बहुत परेशानी होगी।”
-मनोज बागी, बलिया (यूपी)।
“हम लोग की सबसे लोकप्रिय और सुविधाजनक ट्रेन गंगादामोदर है। अचानक यात्रा करने में भी काम से काम जनरल बोगी में जगह मिल जताई थी।”
-मनीष राज, पटना।
“हम लोगों के लिए यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे लिए सबसे सुविधाजनक यह एक ट्रेन ही थी, वह भी छीन ली गई। जनरल कोच में भी जल्दी जगह नहीं मिलेगी।”
-अमित सिंह, आरा।