जलेबी की मिठास में वोट का जुगाड़ करने में जुटे गांव के सरपंच प्रत्याशी | Karnal News, the beating of the candidates for the village square, Jalebi's bhandara to woo the voters

रिंकू नरवाल करनाल2 घंटे पहले

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गांव में सरपंच प्रत्याशी द्वारा लगाए गए जलेबी के भंडारे का दृश्य। - Dainik Bhaskar

गांव में सरपंच प्रत्याशी द्वारा लगाए गए जलेबी के भंडारे का दृश्य।

पंचायत चुनाव में इस बार प्रचार के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। कोई शराब बांट रहा, तो कोई गिलास। कोई गर्म कपड़े तो किसी ने नकदी को वोट बटोरने का माध्यम बनाया। इस सब से अलग गांव नरूखेड़ी के सरपंच पद के उम्मीदवार अग्रेज ने तो कमाल ही कर दिया। उसने प्रचार का अनोखा तरीका निकाला। गांव में जलेबी का लंगर लगवा दिया। इसके साथ ही पूरे गांव को जलेबी का न्योता भी दे दिया।

हालांकि गांव वासी सुरेश ने बताया कि इस सरपंच उम्मीदवार की शिकायत करेंगे, आखिर जलेबी के खर्च को वह किस मद में दिखाएगा। लेकिन फिलहाल तो उम्मीदवार अंग्रेज की गांव में हर तरह चर्चा हो रहा है। ठंड में जलेबी जीम रहे ग्रामीण मतदाता अब इसे वोट देंगे या नहीं, यह तो 12 नवंबर को पता चलेगा। फिलहाल तो वह हर किसी की मान मनौव्वल कर जलेबी खाने के लिए बुला रहा है।

जिप चुनाव के दौरान अपने बूथों पर काम वोट लिस्ट देखते हुए लोगों की फाइल फोटो।

जिप चुनाव के दौरान अपने बूथों पर काम वोट लिस्ट देखते हुए लोगों की फाइल फोटो।

पंचायत चुनाव को लेकर मतदाता जागरूक

पंचायत चुनाव को लेकर मतदाता भी जागरूक होता नजर आ रहा है। वोट किसे डालेंगे? इस सवाल पर ग्रामीण मतदाता बस हल्का सा मुस्कुरा भर देते हैं। वह मन का भेद देने से बचते हैं। खासतौर पर युवा मतदाता अपने वोट को लेकर बेहद संजीदा नजर आ रहा है। इनका कहना है कि अब वह वक्त गया, जब गांव में वोट बहका कर ले लिया जाता था। वोट के लिए जो प्रलोभन दिया जा रहा है, लगता नहीं इसका कोई लाभ मिल जाएगा।

साइलेंट वोटरों के हाथ में गांव की चौधराहट

मैंअगर हम करनाल जिले के राजनीतिक माहिरों की माने तो जीत का ताज उनके सिर सजेगा जिसकी तरफ साइलेंट वोटर हाथ बढ़ाएंगे। प्रत्याशी अगर प्रचार में पढ़े लिखे होने का ढोल पीट रहे हैं तो वोटरों की भी काबिलियत कम नहीं है प्रत्याशी और वोटरों के काबिलियत के बीच की जंग बाजारवाद के इस दौर में भाईचारे से काफी आगे निकल गई है। पंचायती चुनाव में कम पढ़े लिखे वोटर को राजनीति में कमजोर समझने की गलती कोई भी प्रत्याशी नहीं करना चाहता। यही कारण है कि वोट हासिल करने के लिए प्रदेश सहित विदेशों से भी फोन वोटरों के पास आने लगे हैं। किसी को बचपन का प्यार तो किसी को मामा भांजे का रिश्ता याद दिलाया जा रहा है।

गांव में सरपंच प्रत्याशी द्वारा लगाए गए जलेबी के लंगर का दृश्य।

गांव में सरपंच प्रत्याशी द्वारा लगाए गए जलेबी के लंगर का दृश्य।

प्रलोभन के दौर में इस बार वोटर जागरूक

मैंइस बात को नजरअंदाज करना प्रत्याशियों को भारी पड़ सकता है कि ग्रामीण भोले भाले हैं क्योंकि गांव में आज हर वो सुविधा है जो शहरवासियों के पास नहीं है। पढ़ाई के मामले में बेटे हो या बेटियां वो उच्च शिक्षा प्राप्त कर आज बड़े पदों पर तैनात हैं ऐसे में उच्च शिक्षा प्राप्त बेटे बेटियां प्रत्याशी को समझने में भूल नहीं कर सकते। आज का ग्रामीण युवा रिश्तो में गांव की तरक्की पर खरे न उतरने वाले प्रत्याशी को वोट डालने की भूल नहीं करेगा। वोटरों को साधने के लिए बेशक प्रत्याशी जलेबी, पकोड़े सहित अन्य व्यंजन और शराब देने में गुरेज नहीं कर रहा। लेकिन गांव में पढ़ी-लिखी युवा पीढ़ी प्रत्याशियों के इन प्रलोभनों के कारण उनकी जीत पर पानी फेर सकती हैं।

जिप की वोट डालने के लिए मतदान केन्द्र पर खड़े वोटारों की फाइल फोटो।

जिप की वोट डालने के लिए मतदान केन्द्र पर खड़े वोटारों की फाइल फोटो।

प्रैक्टिकल के दौर में भावनाओं की जगह नहीं

मैंडिजिटल के युग में प्रत्याशी बेशक 20 साल पुराने ठरे पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। लेकिन मौजूदा हालात में युवा प्रैक्टिकल हैं। ग्रामीण संदीप, संजीव, योगेश व दिनेश ने बताया कि जनप्रतिनिधि केवल दस्तावेजों पर मोहर लगाने के लिए नहीं होता उसके कंधों पर गांव की शिक्षा व विकास का दारोमदार भी होता है। अब तक चुने गए सरपंचों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों की शिक्षा को लेकर कुछ खासा योगदान दिखाई नहीं दिया है। अब तक भाईचारे और भावनाओं के सहारे जीतने वाले सरपंचों ने केवल अपनी राजनीति विकसित की है जबकि गांव के गरीब बच्चों से शिक्षा की मंजिल आज भी दूर है।

युवाओं ने इस बार स्पष्ट कहा कि इस बार केवल वह अपनी खुद की वोट ही नहीं बल्कि अपने बुजुर्गों की वोट भी गांव के विकास के लिए देने के लिए जागरूक करेगें। क्योंकि आज के प्रैक्टिकल युग में राजनीति बदल चुकी है भावनाओं के लिए आज के युग में युवाओं में बहुत कम जगह बची है।

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