भक्तिरस में डूबा रुद्रानंद आश्रम नारी, श्रद्धालुओं ने अखंड धूने पर टेका माथा | Koti Gayatri Mahayagya in Una; Rudranand Ashram woman immersed in Bhaktiras, devotees bowed their heads on the unbroken dust

ऊना5 मिनट पहले

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रात को रुद्रानंद आश्रम रंग बिरंगी रोशनी से जगमगाता हुआ। - Dainik Bhaskar

रात को रुद्रानंद आश्रम रंग बिरंगी रोशनी से जगमगाता हुआ।

हिमाचल के ऊना जिले में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम नारी में चल रहे कोटि गायत्री महायज्ञ से समूचा क्षेत्र भक्ति रस में डूबा है। सुबह यज्ञ शाला में वाराणसी से आए विद्वानों वेद माता गायत्री जी की विधिवत पूजा करा रहे हैं। साथ ही यज्ञशाला में 300 से अधिक पंडित जाप कर रहे हैं। जिससे आश्रम परिसर दिन भर वैदिक मंत्रों से गूंज रहा है।

आश्रम में भक्तों की भीड़ लगी
इस महायज्ञ की 8 नवंबर को पंच भीष्म पर्व पर पूर्णा हुति डाली जानी है। जिसके मद्दे नजर बाहरी राज्यों से भक्तों का आश्रम पहुंचना शुरू हो गया है। रविवार को 7वें दिन आश्रम में भक्तों की भीड़ लगी रही। इस बीच भक्तों ने अखंड धूने पर शीश नवाया और वेदांताचार्य सुग्रीवानंद महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद में प्राचीन बोधि वृक्षों व यज्ञ शाला की परिक्रमा की।

यज्ञशाला में पंडित जाप करते हुए।

यज्ञशाला में पंडित जाप करते हुए।

सुग्रीवानंद महाराज ने हवन कुंड में आहुतियां डाली
वहीं, यज्ञशाला में वैदिक मंत्रों के साथ आहुतियां डालने का सिलसिला जा है। रविवार को सुग्रीवानंद महाराज ने हवन कुंड में आहुतियां डाली। यूएसए से आए राजेश शर्मा और अन्यों भी यज्ञशाला में आहुतियां डाली। जबकि अखंड धूने पर सुग्रीवानंद महाराज के शिष्य आचार्य हेमानंद महाराज, धर्मपाल शर्मा, संजीव सहोड़, शिव हरिपाल सहित अन्यों ने अपनी सेवाएं दी।

यज्ञ कक्ष में वेदांताचार्य सुग्रीवानंद महाराज व अन्य।

यज्ञ कक्ष में वेदांताचार्य सुग्रीवानंद महाराज व अन्य।

रंग-बिरंगी रोशनी से आश्रम परिसर जगमगाया
महायज्ञ के चलते आश्रम परिसर को विशेष रूप से सजाया गया है। रात को रंग बिरंगी रोशनी की गई है, जिससे आश्रम परिसर पूरी तरह से जगमगाया। वही, कथावाचक चैतन्य मृदुल ने अपने प्रवचनों से भक्तों को निहाल किया। सोमवार को भागवत कथा का समापन हाेगा।

आश्रम परिसर में हेल्थ और आयुर्वेद विभाग ने मेडिकल कैंप लगाए गए हैं। भूतपूर्व सैनिकों का दल व बाबा रुद्रानंद सेवक मंडलों के सदस्य आश्रम की व्यवस्थाओं में हाथ बंटा रहे हैं। जबकि सदाव्रत लंगर में पुरूषों के साथ साथ महिलाएं भी अपनी सेवाएं दे रही हैं।

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