चंडीगढ़29 मिनट पहले
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रोपड़ का राम सरन जाते हुए 3 लोगों की जिंदगी में बदलाव ला गया। एक्सीडेंट के बाद ब्रेन डेड होने पर परिवार की सहमति से उसके आर्गन डोनेट किए गए।
रीजन के सबसे बड़े हेल्थ इंस्टीट्यूट PGI में इस वर्ष अभी तक 34 परिवार किसी अपने के आर्गन डोनेट कर गंभीर रुप से बीमार लोगों को स्वस्थ जिंदगी दे चुके हैं। वहीं नेत्रहीनों की जिंदगी में रोशनी ला चुके हैं। एक ताजा मामले में रोपड़ के गांव सरथाली के राम सरन(53) के आर्गन परिवार ने PGI को डोनेट किए हैं। इससे तीन लोगों की जिंदगी में बदलाव आया है।
इन्हें आर्गन फेलियर की दिक्कत थी। PGIMER के डायरेक्टर प्रोफेसर विवेक लाल ने परिवार के इस कदम की सराहना की है। उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट के प्रयास के चलते आर्गन डोनेशन में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है।
जानकारी के मुताबिक राम सरन बीते 3 नवंबर को अपने परिवार के साथ मार्निंग वॉक पर गए थे। वापसी के दौरान एक तेज रफ्तार टू-व्हीलर ने उन्हें पीछे से बुरी तरह टक्कर मार दी। इससे वह अचेत हो गए। उन्हें नजदीक के सिविल अस्पताल ले जाया गया। यहां से PGI रैफर कर दिया गया। यहां इलाज के दौरान उनकी बॉडी कोई रिस्पांस नहीं कर रही थी। काफी बुरी स्थिति में उन्हें यहां 3 नवंबर को भर्ती करवाया गया था। न्यूरो-सर्जरी विभाग में उनका इलाज चला था। काफी प्रयासों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं आया। ऐसे में 5 नवंबर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
इसके बाद ट्रांसप्लांट कोर्डिनेटर्स राम सरन के परिवार के पास पहुंचे और और आर्गन डोनेशन पर विचार करने के लिए कहा। परिवार की मंजूरी मिलने के बाद राम सरन का लिवर और किडनियां निकाली गई। इससे तीन मरीजों की जिंदगी बचाई गई जो आर्गन फेलियर की अंतिम स्टेज में थे।
मेरे पति दूसरों को कुछ देने में विश्वास रखते थे
मृतक राम सरन की पत्नी कश्मीरो देवी ने कहा कि उनके पति हमेश कुछ देने में विश्वास रखते थे और काफी दयावान थे। वह लोगों के लिए जब भी कुछ करते थे तो उन्हें खुशी मिलती थी। इसलिए वह हमेशा सबकी मदद करते थे। वह जाते हुए भी लोगों को कुछ दे कर गए। कश्मीरो देवी ने कहा कि इन मरीजों के रुप में उनके पति जिंदा रहेंगे।
वहीं राम सरन के बेटे गुरप्रीत सिंह और चरण जीत सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि आर्गन डोनेशन क्या होता है मगर जब उन्हें पता चला कि उनके एक फैसले से बाकियों की जिंदगी बदल सकती है तो वह राजी हो गए। उनके एक फैसले से बाकी मरीज लंबे समय तक अपनों के साथ समय बिता पाएंगे।