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नई दिल्ली38 मिनट पहले
अग्निपथ भर्ती स्कीम से जुड़ी सभी याचिकाओं पर आज से दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। इन याचिकाओं को ट्रांसफर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इतनी ज्यादा संख्या में याचिकाएं न तो जरूरी हैं और न ही ये सही ढंग से भेजी गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- नेशनल इश्यू का मतलब ये नहीं कि उसकी सुनवाई हाईकोर्ट में नहीं हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि हाईकोर्ट्स या तो अपने यहां की याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दें। या फिर इन याचिकाओं को पेंडिंग रखें, वो भी इस शर्त के साथ कि याचिकाकर्ता इन्हें लेकर दिल्ली हाईकोर्ट जा सकते हैं।
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जाति और धर्म के प्रमाणपत्र मांगे जाने पर विपक्ष नाराज
अग्निपथ स्कीम को लेकर विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर निशाना साधा है। विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा अग्निवीर स्कीम की आड़ में ‘जातिवीर’ बनाने की कोशिश कर रही है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि अग्निवीर के तौर पर भर्ती के लिए उम्मीदवारों से जाति और धर्म के प्रमाणपत्र मांगे जा रहे हैं।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा है कि अग्निवीर का इस्तेमाल करके जातिवीर बनाने की कोशिश हाे रही है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने कहा है कि अग्निवीर में जाति के आधार पर भेदभाव पैदा करने की कोशिश RSS से प्रेरित है।
भाजपा ने किया आरोपों का खंडन- जाति प्रमाणपत्र मांगना सामान्य प्रक्रिया
विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए भाजपा ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया में जाति प्रमाणपत्र मांगा जाना सामान्य प्रक्रिया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने पलटवार करते हुए कहा- ‘2013 में भारतीय सेना ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल करके बताया था कि सेना में भर्ती की प्रक्रिया में जाति का कोई रोल नहीं होता है, हालांकि एडमिनिस्ट्रेटिव या ऑपरेटिव कारणों से जाति वाला कॉलम भरवाया जाता है। ‘
सेना ने भी दी सफाई- भर्ती प्रकिया में नहीं हुआ कोई बदलाव
भारतीय सेना ने सफाई देते हुए कहा है कि भर्ती प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जाति और धर्म के कॉलम शुरुआत से इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
पिछले महीने लॉन्च हुई थी अग्निवीर योजना
केंद्र सरकार ने 14 जून को सेना की तीनों शाखाओं- थलसेना, नौसेना और वायुसेना में युवाओं की बड़ी संख्या में भर्ती के लिए अग्निपथ भर्ती योजना शुरू की थी। सेना प्रमुखों का कहना था कि इस स्कीम का उद्देश्य सेना की औसत उम्र को कम करना है और इसमें ज्यादा से ज्यादा युवाओं को शामिल करना है। स्कीम के लिए पात्र होने की आयु सीमा 17.5-21 साल है। 10वीं और 12वीं पास कर चुके युवा इसके लिए अप्लाय कर सकते हैं।
इस स्कीम के तहत नौजवानों को सिर्फ 4 साल के लिए डिफेंस फोर्स में सेवा देनी होगी। इसके पीछे एक तर्क यह भी दिया जा रहा था कि सरकार ने यह कदम तनख्वाह और पेंशन का बजट कम करने के लिए उठाया है। हालांकि सेना और सरकार दोनों ही इस बात का खंडन करती आई हैं।