हादसे के 6 दिन बाद किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ लिया गया एक्शन | Big action taken against a government official 6 days after the accident

मोरबी3 घंटे पहले

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गुजरात के मोरबी शहर में में हुए पुल हादसे में चीफ फायर ऑफिसर संदीप सिंह झाला को लापरवाही के आरोप में शुक्रवार को निलंबित कर दिया गया। किसी सरकारी अधिकार के खिलाफ प्रशासन की यह पहला बड़ा एक्शन है। गुजरात पुलिस ने गुरुवार को मोरबी नगरपालिका के चीफ ऑफिसर झाला से 4 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।

इस घटना में 135 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।

इस घटना में 135 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।

कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा
गुजरात पुलिस ने मोरबी पुल के रेनोवेशन की जिम्मेदारी दिए गए एग्रीमेंट को लेकर घड़ी निर्माता कंपनी ओरेवा ग्रुप से भी स्पष्टीकरण मांगा है। इस मामले को लेकर मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि ब्रिज के रेनोवेशन की जिम्मेदारी जिस कांट्रैक्टर को दी गई थी, वह इस तरह के काम कराने के योग्य नहीं हैं।

हादसे में मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की रही।

हादसे में मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की रही।

हादसे में 135 लोगों की मौत
गौरतलब है कि मोरबी में मच्छू नदी के ऊपर ब्रिटिश काल में बना सस्पेंशन पुल रविवार की शाम गिर गया था। इस घटना में 135 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। हादसे में मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की रही। इस घटना को लेकर पहले ही गुजरात पुलिस नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें पुल के टिकट कलेक्टर से लेकर ठेकेदार तक शामिल हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

1. यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। क्या जल्दबाजी में चालू किया गया?
मोरबी का केबल सस्पेंशन ब्रिज 20 फरवरी 1879 को शुरू किया गया था। 143 साल पुराना होने से इसकी कई बार मरम्मत हो चुकी है। हाल ही में 2 करोड़ रुपए की लागत से 6 महीने तक ब्रिज का रेनोवेशन हुआ था। गुजराती नव वर्ष यानी 26 अक्टूबर को ही यह दोबारा खुला था। गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा एक-दो दिन में ही होने वाली है। कांग्रेस का आरोप है कि चुनावी फायदा लेने के लिए इसे बिना टेस्टिंग अफरातफरी में शुरू कर दिया गया।

2. पुल के रेनोवेशन के बाद क्या उसकी मजबूती जांची गई?
नया पुल हो या किसी पुल का रेनोवेशन किया गया हो, उसको शुरू करने से पहले जरूरी है कि उसकी मजबूती की विशेषज्ञ जांच करें। ये परखते हैं कि इस पर कितना भार दिया जा सकता है। मोरबी के नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला ने कहा कि ओरेवा ने प्रशासन को सूचना दिए बिना ही लोगों को पुल पर जाने की इजाजत दे दी।

कंपनी ने न तो पुल खोलने से पहले नगरपालिका के इंजीनियरों से उसका वेरिफिकेशन कराया और न ही फिटनेस स्पेसिफिकेशन सर्टिफिकेट लिया। अब बड़ा सवाल ये है कि 26 अक्टूबर को ओरेवा कंपनी के MD जयसुख पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुल को चालू करने की घोषणा की थी, तब नगर पालिका ने इसे रोका क्यों नहीं?

3. प्रशासन ने घड़ी-बल्ब बनाने वाली कंपनी के जिम्मे ही छोड़ दिया पुल?
मोरबी का यह ऐतिहासिक पुल शहर की नगर पालिका के अधिकार में था। नगर पालिका ने इसकी मरम्मत की जिम्मेदारी अजंता ओरेवा ग्रुप ऑफ कंपनीज को सौंपी थी। यह इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों, कैलकुलेटर, घरेलू उपकरणों और एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी है। ओरेवा ने ही देश में सबसे पहले एक साल की वारंटी के साथ एलईडी बल्ब बेचने की शुरुआत की थी।

नगर पालिका के CMO संदीप सिंह झाला ने माना कि मरम्मत के दौरान कंपनी के कामकाज की निगरानी के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। यानी पूरी तरह से कंपनी के ऊपर छोड़ दिया गया कि वह पुल को कैसे और किससे बनवाती है और कब चालू करती है?

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गुजरात में पुल टूटने के ये गुनहगार: बल्ब बनाने वाली कंपनी के जिम्मे छोड़ा ब्रिज, ज्यादा टिकट बेचने के लालच ने ली 134 जानें ​​

गुजरात के मोरबी में पैदल यात्रियों के लिए बना सस्पेंशन ब्रिज रविवार रात को टूट गया। कुछ दिन पहले ही इसकी मरम्मत हुई थी। आम लोगों के लिए खोले जाने के महज 5 दिन बाद ही यह ब्रिज टूट गया। यह पुल मोरबी के लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज को दरबारगढ़ महल से जोड़ता था। हादसे के बाद कई सवाल उठे, जो दिखाते हैं कि जिम्मेदारों की अनदेखी ने एक साथ सैकड़ों लोगों की जान ले ली। पढ़ें पूरी खबर…

मोरबी के गुनहगारों को बचाया: सिर्फ क्लर्क, गार्ड-मजदूर गिरफ्तार… FIR में ओरेवा, उसके MD और अफसरों का नाम नहीं

मोरबी में केबल ब्रिज गिरने की घटना के जिम्मेदारों को बचाने का खेल भी शुरू हो गया है। पुलिस ने इस केस में जिन 9 लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें ओरेवा के दो मैनेजर, दो मजदूर, तीन सिक्योरिटी गार्ड और दो टिकट क्लर्क शामिल हैं। पुलिस की FIR में न तो पुल को ऑपरेट करके पैसे कमाने वाली ओरेवा कंपनी का जिक्र है, न रेनोवेशन का काम करने वाली देवप्रकाश सॉल्युशन का। पुल की निगरानी के लिए जिम्मेदार मोरबी नगर पालिका के इंजीनियरों का भी नाम इसमें नहीं है। पढ़ें पूरी खबर…

ओरेवा को बिना टेंडर दिया था मोरबी पुल का कॉन्ट्रैक्ट:कंपनी ने जंग लगी केबलें तक नहीं बदलीं

मोरबी के सस्पेंशन ब्रिज की मरम्मत का काम ओरेवा कंपनी को बिना टेंडर के ही दे दिया गया था। यह खुलासा गुजरात पुलिस के कोर्ट में दिए हलफनामे से हुआ है। मोरबी के एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एचएस पंचाल ने बताया कि ब्रिज की मरम्मत के लिए कोई टेंडर जारी नहीं किया गया। नगर पालिका ने सीधे ही ओरेवा कंपनी से पुल की मरम्मत का कॉन्ट्रैक्ट कर लिया था। पढ़ें पूरी खबर…

मोरबी ब्रिज हादसे का नया VIDEO: रस्सी के सहारे लटके मदद मांग रहे लोग, नदी के बीच मची चीख-पुकार

गुजरात के मोरबी में रविवार शाम हुए ब्रिज हादसे का एक और वीडियो सामने आया है। इसमें कई लोग पुल के टूटे हिस्से में बंधी रस्सियों के सहारे लटके हैं। कुछ लोग नदी के पानी में डूबने वाले हैं। चारों तरफ मदद के लिए चीख-पुकार मची हुई है। 30 अक्टूबर की शाम हुए पुल हादसे में बुधवार तक 135 शव बरामद हो चुके थे। 125 लोगों की टीम और 12 नावों के साथ गोताखोरों को तलाशी अभियान में लगाया गया है। पढ़ें पूरी खबर…

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