मदद की गुहार लगाते हुए कहा, लोकतंत्र के चीरहरण को मौन होकर नहीं देख सकती | Calling for help, she said, 'Can't see the rip-off of democracy in silence'

2 घंटे पहले

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महागठबंधन ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी - Dainik Bhaskar

महागठबंधन ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी

झारखंड में महागठबंधन की सरकार ने अब राष्ट्रपति से मदद की गुहार लगाई है। महागठबंधन में शामिल सभी दल जिसमें झामुमो, कांग्रेस और राजद शामिल हैं, सभी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्रीय एजेंसी की मदद से झारखंड में चुनी सरकार को गिराने की साजिश की जा रही है।

इस पत्र में झामुमो के विनोद कुमार पांडेय, सांसद विजय हांसदा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर, मंत्री बादल समेत अन्य नेताओं के हस्ताक्षर हैं। पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रपति संविधान के संरक्षक होते हैं। चिट्ठी में राष्ट्रपति से गुहार लगाते हुए कहा गया है आपसे उम्मीद और अनुरोध है।

क्या है पत्र में
चिट्ठी में राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए लिखा गया है दिसम्बर, 2019 में वर्तमान गठबंधन सरकार अपार जन समर्थन के सत्तारुढ हुई। जनता भाजपा सरकार की कमियों, भ्रष्टाचार एवं कुशासन से उब चुकी थी। झारखंड की जनता को इस नई सरकार से बहुत उम्मीदें हैं। हमारी सरकार ने जब विपरीत परिस्थितियों यथ कोरोना के भयावह दौर से उभरते हुए तेजी से जन भावनाओं के अनुरूप कार्य करना प्रारंभ किया ता भाजपा एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाने के बदले चुनी हुई सरकार को अपदस्थ करने का कुटिल प्रयास करने लगी।

इसके लिए विधायकों को तोड़ने के प्रयास से लेकर केन्द्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग का सिलसिला लगातार जारी है। जैसे-जैसे सरकार अपने वादे के अनुरूप जनहित का कार्य तेजी करते जा रही है. विपक्ष की हताशा बढ़ती जा रही है और गठबंधन की सरकार को अस्थिर करने के लिए केन्द्रीय एजेंसियों यथा- चुनाव आयोग, ई.डी. एवं आयकर विभाग आदि की गतिविधियां तेज हो गई हैं।

केंद्रीय एजेंसी के दुरुपयोग का आरोप
केन्द्रीय एजेंसियों की पिछले 6 माह की भूमिका पर नजर दौड़ाई जाय तो स्वतः स्पष्ट हो जायेगा कि उनका एकमात्र उद्देश्य चुनी हुई सरकार को गिराना है, हमारे लोकप्रिय नेता का प्रताड़ित करना है। यहां गौर करने वाली बात है कि उनके हर गोपनीय कदम की जानकारी भाजपा नेताओं की ट्विट से मिलती है। इतना ही नहीं राज्य निर्माता दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी को भी भाजपा नेताओं ने बदनाम करने की कोई कसर नहीं छोड़ी, इनके खिलाफ लोकपाल में शिकायत दर्ज कराई गई। आखिर यह क्या दर्शाता है? इससे स्वतः स्पष्ट है कि केन्द्रीय एजेसियां केन्द्र सरकार के इशारे पर चुनी हुई सरकार को अस्थिर करना चाहती हैं।

कहा, चीरहरण मौन होकर नहीं देख सकतीं
महोदया, संविधान के संरक्षक होने के नाते आप लोकतंत्र के चीरहरण को मौन होकर नहीं देख सकती। संघीय ढाँचे को तार-तार होने से आपको बचाना ही होगा। खासकर दलित/आदिवासी/पिछड़े/अल्पसंख्यक के प्रति आपकी बड़ी जवाबदेही है. जिसके कल्याण के निमित्त गठबंधन सरकार काम कर रही है। हम केन्द्रीय एजेंसियों को रोक नहीं सकते। परन्तु आपसे गुहार जरूर लगा सकते हैं। महोदया, आपसे निवेदन होगा कि झारखंड की जनता द्वारा चुनी हुई लोकप्रिय सरकार को गलत तरीके से अपदस्थ करने की कार्रवाई पर रोक लगाई जाय।

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