भोपाल32 मिनट पहलेलेखक: वंदना श्रोती
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मादा सिंह ‘गंगा’
गुजरात से भले ही वन विहार को सिंह न मिले हो, लेकिन शनिवार को इंदौर से ढाई साल की एक मादा सिंह ‘गंगा’ वन विहार पहुंच गई है। गंगा यहां सिंहों का कुनबा बढ़ाएगी। वर्तमान में वन विहार में एक नर सिंह सत्या और एक मादा सिंह नंदी है। दोनों एक ही मां की संतान हैं।
ऐसे में इनकी ब्रीडिंग नहीं कराई जा सकती, क्योंकि इसमें कई तरह की अनुवांशिक बीमारियों का खतरा रहता है। अब इंदौर जू से लाई गई गंगा और सत्या वन विहार का कुनबा बढ़ाएंगे। यह पहला मौका है जब वन विहार में सिंहों की ब्रीडिंग कराई जा रही है। इंदौर चिड़ियाघर के प्रभारी उत्तम सिंह ने बताया कि यह सिंह सुल्तान और सुंदरी की संतानों में से एक है।
हालांकि अपने भाई-बहनों के मुकाबले गंगा ज्यादा आक्रमक है। गंगा में वाइल्ड जींस का रिपीटेशन देखने को मिलने के बाद ही वन विहार में ब्रीडिंग प्रोग्राम के लिए इसका चयन हुआ है। शनिवार रात को गंगा वन विहार पहुंच गई है।
गुजरात ने दो उम्रदराज सिंह दिखाए, इसलिए नहीं लाए, बाद में दोनों की मौत
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात वन विभाग को मप्र को वाइल्ड सिंह का जोड़ा देने का आदेश दिया था। जूनागढ़ चिड़ियाघर ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से सिंह देने के लिए हामी भी भर दी थी, लेकिन जब वन विहार की टीम वहां पहुंची तो उन्हें दो उम्रदराज सिंह दिखाए गए। इसके बाद टीम खाली हाथ लौट आई। कुछ दिन बाद पता चला कि दोनों सिंहों की मौत हो गई।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मादा सिंह लाने की अनुमति मिल गई है। इंदौर से मादा सिंह 6 नंवबर को देर रात वन विहार पहुंच गई है। -सुनील सिन्हा, डिप्टी डायरेक्टर वन विहार