लखनऊएक घंटा पहले
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NEET 2021 में दाखिलें में हुई गड़बड़ियों के चलते FIR दर्ज हैं।
यूपी के आयुष कॉलेजों मे हुए फर्जी दाखिले में आयुर्वेद निदेशक ने काउसलिंग कराने वाली संस्था समेत तीन के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने अपट्रान, निजी एजेंसी वी-3 सॉफ्ट सॉल्यूशन के कुलदीप सिंह और अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश, आईटीए एक्ट समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
शुरुआती जांच में पता चला कि नीट परीक्षा में शामिल हुए बगैर कई छात्रों के दाखिले आयुर्वेद, यूनानी तथा होम्योपैथ कॉलेजों में कर दिए गए। विभाग ने 891 छात्रों के दाखिले को सदिग्ध करार दिया है। फर्जी दाखिलों की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई है।
यह है पूरा मामला –
आयुर्वेद, यूनानी तथा होम्योपैथी कॉलेज में दाखिले नीट की मेरिट सूची के आधार पर हुए थे। वर्ष 2021-22 में काउसलिंग के लिए आयुर्वेद निदेशालय ने बोर्ड का गठन किया था। आईटी सेल न होने के कारण बोर्ड की निगरानी में निजी एजेंसी सॉफ्ट सॉल्यूशन प्रा लि को काउंसलिंग का ठेका दिया गया। इस एजेंसी को अपट्रान पावरट्रानिक्स लि. ने नामित किया था। एक फरवरी 2022 से शुरू हुई काउंसलिंग प्रक्रिया 19 मई तक चार चरणों में पूरी की गई। प्रदेश के राजकीय और निजी कॉलेजों में 73 हजार 388 सीटों पर एडमिशन हुए। काउंसिलिंग से लेकर सत्यापन तक की जिम्मेदारी निजी एजेंसी की थी। दाखिलों के बाद सीट एलाटमेंट भी कर दिए गए और छात्रों ने एडमिशन भी ले लिए। इसके बाद कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को डॉक्यूमेंट के सत्यापन कराने के आदेश दिए गए।
कॉलेजों ने सत्यापन कराना शुरू किया तो पता चला कि 1181 छात्रों के रिकॉर्ड नीट काउंसिलिंग की मेरिट सूची से नहीं मिले। इनमें से 22 छात्र ऐेसे थे जो नीट में शामिल ही नहीं हुए थे। 1181 में से 927 को सीट आवंटन किया गया था। इनमें से 891 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश ले लिया है।
NEET के डाटा बेस और वेबसाइट भी छेड़छाड़
आरोप है कि निजी एजेंसी ने नीट के डाटा बेस में ही नहीं बल्कि वेबसाइट में भी छेड़छाड़ की। डीजीएमई कार्यालय से मिले डाटाबेस और निजी एजेंसी के रिकॉर्ड में हेरफेर पाई गई। जांच शुरू हुई तो निजी एजेंसी संचालक ने डीजीएमई कार्यालय से मिली हार्ड डिस्क की आरडीबीडी भी क्रप्ट कर दी।
यूपी के आयुष कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया महज दिखावा थी। नीट-यूजी मेरिट का भी कोई मतलब नहीं था। घोटालेबाजों ने आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथिक पाठ्यक्रमों की एक-एक सीट की सौदेबाजी की। पांच-पांच लाख रुपये में सीटें बेंच दीं। करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे कांउसिलिंग में हो गए। पात्र छात्रों के सपनों का सौदा कर एडमिशन के दलालों ने अयोग्य विद्यार्थियों को दाखिला दिला दिया। इसमें निदेशालय के अफसर व काउंसिलिंग एजेंसी की भूमिका सवालों के घेरे में है।
राजकीय कॉलेजों में दाखिले की घूस दोगुनी
आयुष पाठ्यक्रमों की काउंसिलिंग का ठेके एजेंसी को दिया गया था। आयुर्वेद निदेशालय के अफसरों को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बावजूद बड़े पैमाने पर एडमिशन में घोटाला हो गया। आठ राजकीय आयुर्वेद कॉलेजों में करीब 400 सीटे हैं। 68 निजी कॉलेजों में लगभग साढ़े चार हजार सीटें हैं। लगभग दो लाख रुपये सालाना फीस प्राइवेट कॉलेजों के लिए तय है। हॉस्टल की फीस इसमें शामिल नहीं है। जबकि सरकारी कॉलेजों में 14 हजार रुपये सालाना फीस है। शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि राजकीय कॉलेजों में प्रवेश के नाम पर पांच-पांच लाख रुपये तथा निजी कॉलेजों में दाखिला दिलाने के लिए दलालों ने तीन से चार रुपये तय कर रखे थे। होम्योपैथ के आठ सरकारी कॉलेजों में लगभग 800 सीटें हैं। दो प्राइवेट होम्योपैथिक कॉलेज हैं। इसी तरह यूनानी के सरकारी व प्राइवेट कॉलेज हैं। सरकारी कॉलेजों में दाखिले दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली गई। जबकि सरकारी में दो से तीन लाख रुपये वसूले गए।
यह हुआ खेल
आयुष कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया महज दिखावा थी। नीट-यूजी मेरिट का भी कोई मतलब नहीं था। घोटालेबाजों ने आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथिक पाठ्यक्रमों की एक-एक सीट की सौदेबाजी की। पांच-पांच लाख रुपये में सीटें बेंच दीं। करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे कांउसिलिंग में हो गए। पात्र छात्रों के सपनों का सौदा कर एडमिशन के दलालों ने अयोग्य विद्यार्थियों को दाखिला दिला दिया। इसमें निदेशालय के अफसर व काउंसिलिंग एजेंसी की भूमिका सवालों के घेरे में है।